ब्रह्मोस मिसाइल के नए संस्करण का सफल परीक्षण, ध्वनि की गति से दोगुनी रफ्तार से लक्ष्य भेदने में सक्षम

ब्रह्मोस मिसाइल के आर्मी वर्जन का मंगलवार को ओडिशा के चांदीपुर स्थित इंटिग्रेटेड टेस्ट रेंज में परीक्षण हुआ। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के मुताबिक, इसे एक मोबाइल ऑटोनाॅमस लांचर से सुबह 8.45 बजे दागा गया। मिसाइल ने लक्ष्य के तौर पर मौजूद जहाज पर सटीक निशाना लगाया। ब्रह्मोस मिसाइल नौसेना और वायुसेना में पहले ही शामिल है और अब इसे थल सेना के बेड़े में भी शामिल किया जा सकता है। नए संस्करण का प्रपल्शन सिस्टम, एयरफ्रेम, पॉवर सप्लाई समेत कई अहम उपकरण देश में ही विकसित किए गए हैं।


डीआरडीओ के अधिकारियों ने बताया कि नए संस्करण की लंबाई 9 मीटर है और यह एक बार में 200 किग्रा वजनी वारहेड ले जा सकती है। 290 किमी रेंज वाली यह मिसाइल ध्वनि की गति से दोगुनी रफ्तार से वार करने में सक्षम है। ये टार्गेट के करीब पहुंचने से महज 20 किमी पहले भी रास्ता बदल सकने वाली तकनीक से लैस है। मंगलवार के परीक्षण में इसने सतह से वार करने के सभी मापदंडों को पूरा किया।


ब्रह्मोस के नए संस्करण की कई तकनीकें स्वदेशी


ब्रह्मोस को भारत के डीआरडीओ और रूस के एनपीओएम ने संयुक्त रूप से विकसित किया है। ब्रह्मोस दुनिया में अपनी तरह की इकलौती क्रूज मिसाइल है, जो सुपरसॉनिक स्पीड से दागी जा सकती है। भारतीय सेना के तीनों अंगों के लिए ब्रह्मोस मिसाइल के अलग-अलग संस्करण बनाए गए हैं। थल सेना, वायु सेना और नौसेना की जरूरतों के हिसाब से ब्रह्मोस को अलग-अलग उद्देश्यों के लिए तैयार किया गया है। 


2017 में लंबी मारक क्षमता वाले पहले ब्रह्मोस का परीक्षण


ब्रह्मोस के लंबी दूरी तक मार करने वाले पहले संस्करण का परीक्षण 11 मार्च 2017 को किया गया था। जमीन पर 490 किमी दूर लक्ष्य को भेदने में सक्षम ब्रह्मोस ने सफलतापूर्वक परीक्षण पूरा किया था। अपेक्षाकृत कम दूरी तक वार करने वाली ब्रह्मोस का परीक्षण इसी साल 30 सितंबर को चांदीपुर टेस्ट रेंज में किया गया था।